सिलसले

ता-उम्र तूने हमसे कितने फासले रखे,
हमने फिर भी मिलने जुलने के सिलसले रखे।

जुगनुओ ने जला दिया मेरा आशियाना लेकिन,
हमने फिर भी मुस्कुराने के हौसले रखे।

तू लोट कर आएगा नहीं बावज़ूद इसके,
मैंने घर के दरो-दरवाजे खुले रखे।

जितनी बार भी खाया है मैंने यकीन करना,
तुम्हारे हिस्से के निवाले पहले रखे।

उसके हिस्से के सरे ग़म तुम मुझे दे दो,
मेरे हिस्से की सारी ख़ुशी वोह भले रखे।

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